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Osho Awakens Our Conscience (Part - 1) (हिंदी अनुवाद- ओशो हमारे विवेक को जागृत करते है। भाग - 01)

  • ayubkhantonk
  • Jun 8
  • 2 min read

Updated: Jun 12

दिनांक : 08.06.2025

अध्याय - 02

लोग सोचते है कि ओशाे समाज और धर्म विरोधी थे। लेकिन यह सत्य नही है। ओशो सम्प्रदाओ और तथाकथित धर्मो में उत्पन्न हुए अंधविश्वासो और पांखडो के विरोधी थे। ओशो का उद्देश्य, समाज मे निहित स्वार्थो की पूर्ति के लिए जो मानसिक विकृतचित्ता पैदा हुई है उसे उजागर करना और उसके समाधान प्रस्तुत करना रहा है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ओशो ने धर्मो का पुरजोर विरोध किया है लेकिन धार्मिकता की प्रशंसा की है। बरसो पहले, उनके साथी प्रोफेसर के पुत्र ने ओशो से यही प्रश्न पूछा था कि वे धर्मो के खिलाफ क्यो बोलते है, तब उन्होने यही कहा था कि धर्म तो एक वचन है। तुम्हारे समाज ने उसे बहुवचन बना दिया है। उन्होने कहा कि वे सदैव धर्म के पक्ष में है। उनका उद्वेश्य व्यक्ति को धार्मिक बनाना है। जैसे ही व्यक्ति धार्मिक होता है, वैसे ही उसके जीवन से महत्वकाक्षा और अंहकार के बादल स्वतः छंट जाते है। इसके बाद ही व्यक्ति निर्मल और शांत चित्त हो सकता है। उसके कदम सजनात्‍मकता की ओर ग‍ति करना आरंभ कर देते हैं l

ओशो के क्रांतिकारी प्रवचनो से जिन तथाकथित धार्मिक लोगो की रोजी रोटी प्रभावित हो रही थी वे तर्को के माध्यम से मुकाबला करने मेे समर्थ नही थे इसलिए उन्होने आरोप लगाना प्रारंभ कर दिया कि ओशो उनके देवी देवताओ का अपमान कर रहे है। यह वे लोग थे, जिनके जीवन से उत्साह गघे के सींग की तरह गायब हो गया था। इनके चेहरे आभाविहिन होकर मुरझा गये थे। वे सही गलत में भेद करना भूल गए थे। उनका जीवन लकीर के फकीर की तरह हो गया था। जीवन, रचनात्मकता और मौलिकता से शून्य हो गया था। तथाकथित जानकारो ने लोगो के दिमाग में बैठा दिया था कि तुम्हारा, वर्तमान पूर्व जन्मो के कृत्यो का फल है। इस सूत्र को घुटटी की तरह लोगो को पिलाकर उनसे विकास के पूरे अवसर छीन लिए गए। समाज में धारणा फैल गई कि जब वर्तमान जीवन के कष्ट, पूर्व जन्म के कृत्यो का ही फल है तो हम कर भी क्या सकते है। वे जस के तस होकर बैठ गए। जीवन के रुपांतरण के मार्ग पर ऐसा अवरोघ पैदा कर दिया गया कि कोई इन अवरोघको को पार नही कर सके।

जारी है ..........

 
 
 

1 Comment


Naveen Jain
Naveen Jain
Jun 09

यह एक सचेत, स्वतंत्र और आध्यात्मिक रूप से विकसित समाज की आवश्यकता को उजागर करता है, जो आज के समाज के लिए एक प्रेरणादायक है....

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