हमारे विचारो का शुद्धिकरण कैसे करे (भाग : 1, ब्लॉग : 2)
- Ayub Khan
- May 14
- 2 min read
दिनांक : 14.05.2025
हमारी विचार शक्ति का प्रभाव

यह सत्य है कि विचार, सदैव विचार तक ही सीमित नहीं रहते। जो आज हमारा विचार हैं, वह कल हमारी वाणी और सोच बन जाएगा। जीवन के क्षण सीमित है। इन क्षणो को आनंदपूर्ण बनाने के लिए यह अनिवार्य हैं कि हम सत्यम, शिवम और सुंदरम से युक्त विचारो के अलावा और कुछ संगृहित करनें से परहेज करे। जब ऐसे शुद्व विचारो का दिमाग में स्थाई निवास होगा तो जीवन सुखमय हो सकेगा। किस प्रकार विचार दिमाग में जडे जमाकर हमारे कृत्यो को प्रभावित करते है? इसे शेलेंद्र सरस्वती जी एक सोवियत कहानी के माध्यम से समझाते है।
एक लडका विधार्जन करने के लिए शहर आया है। वह एक हॉस्टल में रहता है। उस हॉस्टल के सामने एक अमीर महिला का विशाल भवन हैं। वह वृद्व, अमीर महिला उस विशाल भवन में अकेली रहती हैं। उसके परिवार में उसके अलावा और कोई नहीं हैं। वह धनी महिला जरुरतमंद लोगो को उचीं ब्याज दर पर रुपया उधार देने का धंधा करती है। जिन कर्जदारो के पास पूर्ण रोजगार का अभाव है, वे मूलधन तो क्या ब्याज भी नियमित रुप से चुकाने में समर्थ नही होते है। उस अकेली महिला ने गरीब किसानो के शोषण में कोई कसर नही छोडी। वह खून चूसने की अभ्यस्त हो गई थी। गरीब लोग अपना सामान और जमीन गिरवी रखकर उधार ले तो जाते थे लेकिन वापस चुकाने वाला कोई बिरला ही होता था। अतः महिला के धनी होने का ग्राफ निरंतर बढता ही जाता हैं।
जब वह विधार्थी किसी व्यक्ति को उस महिला के आलीशान मकान में प्रविष्ट होते हुए देखता है तो उसके मन में विचार आता हैं कि आज एक ओर मुर्गा ब्याज के जाल में फॅसकर हलाल होगा। वह महिला के द्वारा किए जा रहे शोषण से दुखी होता रहता है। कई बार उसके दिल में ख्याल आता है कि दुनिया में इतनी सडक दुर्घटनाए होती है। उन दुर्घनाओं में निर्दोष और सज्जन लोगो की जीवन लीला समाप्त हो जाती है लेकिन इस शोषक महिला के साथ एसा कुछ नहीं होता। कई लोगो का शरीर असाध्य रोगो से ग्रसित हो जाता है लेकिन इस महिला के शरीर मे रोगो के कीटाणु प्रवेश करने से क्यो भयभीत होते हैं। भली-चंगी हैं। इस दुष्ट को यमराज ले जाए तो लोग चैन की बॉसुरी बजाए। वैसे यह सोच अशुभ विचार की श्रेणी में आती है। युवक को कभी नहीं लगा कि वह क्यो अशुभ विचारो के दिमाग मे जगह दे रहा हैं। वह तो शोषित व्यक्तियों की मुक्ति का उपाय सोच रहा था। वह लोगो को ब्याज, ब्याज पर ब्याज नामक संक्रामक बीमारी से निजात दिलवाना चाहता हैं।
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